भारत मेंं Smartphone यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। साथ ही स्मार्टफोन जनित रोगों की संख्या में भी लगातार ईजाफा हो रहा है। पिछले कुछ सालों में नेत्र रोगियों की संख्या अचानक से बढ़ी है। और हैरानी की बात यह है कि इनमें कम उम्र के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है। और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है Gadgets की Screen से निकलने वाली Blue Light, जिसकी वजह से लोग अंधेपन के शिकार हो रहे हैंं। अब आप पूछेंगे कि यह Blue Light क्या बला है और इसके क्या-क्या नुकसान हैं? What is blue light and what are its disadvantages? साथ ही इससे आँखों को बचाऐं कैसे? आइए, विस्तार से जानते हैं।
Blue Light
आजकल Smartphone की वजह से युवाओं और बच्चों में आँखों से जुड़ी गंभीर समस्याएँ देखने को मिल रही हैं। जैसे कि Glaucoma (ग्लूकोमा) को ही ले लीजिए। पहले सिर्फ 40-50 साल की उम्र के बाद ही ‘ग्लूकोमा’ होता था। लेकिन अब तो कम उम्र के बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। और अपनी आँखों की रौशनी गंवा रहे हैं।
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आपको बताना चाहूँगा कि Glaucoma (काला मोतिया) आँखों का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह एक ऐसा भयानक रोग है, जो व्यक्ति को हमेशा के लिए अंधा बना देता है। और समस्या यह है इसका कोई भी ईलाज नहीं है। अगर एक बार नजर चली गई तो उसे किसी भी तरीके से वापिस नहीं लाया जा सकता। और उससे भी बड़ी समस्या है इसकी पहचान न कर पाना। क्योंकि इसका कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता। यह चुपके से आता है और आँखों की रौशनी छीनकर जीवन में हमेशा के लिए अंधेरा कर देता है।
Blue Light क्या है?
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे कि कम्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन, LCD, स्मार्ट टीवी आदि में जो स्क्रीन होती है, उससे एक Light निकलती है जिसे Blue Light कहा जाता है। यह आँख के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से Ratina की Light Receptive Cells को बेहद नुकसान पहुँचाती है। आपको बताना चाहूँगा कि Light Receptive Cells प्रकाश (Light) के प्रति अत्यंत संवेदनशील होती हैं। Blue Light इन Cells को काफी नुकसान पहुँचाती है जिससे न सिर्फ नजर कमजोर होती है, बल्कि व्यक्ति अँधा भी हो सकता है।
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लम्बे समय तक फोन/लैपटॉप इस्तेमाल करने या टीवी देखने से Blue Light आँखों को काफी नुकसान पहुँचाती है। शुरुआत में आँखों में Strain (खिंचाव), Pain (दर्द), Headache (सरदर्द), Redness (लालिमा) और Dryness (सूखापन) जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन ये बढ़ते-बढ़ते कब ग्लूकोमा और अंधता में बदल जाती हैं, पता ही नहीं चलता। और जब तक पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। क्योंकि तब तक व्यक्ति अपनी आँखें गंवा चुका होता है और उसके जीवन में सिवाय अंधकार के और कुछ नहीं बचता। इसलिए सावधानी बरतें और हमेशा अपनी आँखों को Blue Light से बचाकर रखें।
Blue Light के नुकसान
सबसे पहले तो मैं आपको यह बता दूँ कि हर तरह की ब्लू लाईट्स हानिकारक नहीं होती। कुछ Blue Lights हमारे शरीर के लिए लाभदायक भी होती है। जैसे कि सूर्य के प्रकाश में मौजूद ब्लू लाईट। जी हाँ, बिल्कुल सही सुना आपने! सूर्य के प्रकाश में भी Blue Light होती है। लेकिन यह हमारी याददाश्त को बनाये रखने और शरीर को नींद से जगाने में मदद करती है। कैसे? यह मैं आगे बताऊँगा।
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लेकिन Phone की Screen से निकलने वाली ब्लू लाईट सिर्फ नुकसान ही पहुँचाती है। इसका कोई फायदा नहीं है। यह हमारी आँखों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। The Blue Light is very dangerous for our eyes. आइए, जानते हैं इसके कुछ नुकसान…
Ratina की क्षति
रेटिना, आँख का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है। इसमें कई सारी कोशिकाऐं होती है, जो प्रकाश को कैप्चर करके दिमाग तक पहुँचाती है। और इसी प्रकाश के कारण हम देख पाते हैं। लेकिन Blue Light रेटिना को काफी नुकसान पहुँचाती है। क्योंकि इसमें बहुत ही अधिक Energy वाली Wavelength होती है। जो आराम से आँख के रेटिना तक पहुँच जाती है। और संवेदनशील कोशिकाओं को घायल कर देती है।
स्थायी अंधापन
आँख की अधिकतर बीमारियां रेटिना से जुड़ी होती हैं। और अंधापन भी उनमें से एक है। दरअसल Blue Light रेटिना की संवेदनशील कोशिकाओं और मांसपेशियों को काफी ज्यादा नुकसान पहुँचाती है। इससे न सिर्फ व्यक्ति को धुँधला दिखाई देता है। बल्कि नजर भी कमजोर हो जाती है। यहाँ तक कि व्यक्ति हमेशा के लिए अँधा भी हो सकता है।
Health Disease
Blue Light से सिर्फ आँखों को ही नुकसान नहीं होता है। बल्कि शरीर और दिमाग भी इससे काफी प्रभावित होते हैं। ब्लू लाईट से आलस्य, थकान, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, और हृदयगति के साथ-साथ हार्मोन्स और जीन पर भी काफी बुरा असर पड़ता है। और कई बार तो इससे दिमाग भ्रमित तक हो जाता है।
नींद न आना
रात के समय हमारा शरीर मैलाटोनिन नामक हार्मोन (Melatonin Harmone) का स्त्राव करता है। जिससे हमें नींद आती है। लेकिन जब आप रात को फोन Use करते हैं! तो स्क्रीन से निकलने वाली Blue Light के कारण दिमाग भ्रमित होता है। और आँखों के जरिये दिमाग तक यह संदेश पहुँचता है कि अभी दिन है। इसे समझने के लिए यह चित्र देखें :-

आमतौर पर सूर्य के प्रकाश में मौजूद Blue Light से ही दिमाग को पता चलता है कि अभी दिन है। लेकिन जब यही Blue Light किसी गैजेट की स्क्रीन से मिलती रहती है तो दिमाग को यही लगता है कि अभी दिन है। इसलिए वह शरीर में Melatonin हार्मोन का स्त्राव बंद कर देता है। इससे आपको नींद नहीं आती।
Circadian Rhythm बिगड़ना
Blue Light से शरीर का Circadian Rhythm बुरी तरह बिगड़ जाता है। यह दरअसल हमारे शरीर का एक नेचुरल सिस्टम है, जो हमें समय पर सोने और समय पर जागने में मदद करता है। लेकिन Blue Light की वजह से यह बुरी तरह Distrub हो जाता है जिससे हमारे सोने और जागने का कोई समय नहीं रहता। अर्थात् रात को नींद नहीं आती और सुबह आँख नहीं खुलती।
Transient Vison Loss
यह काफी खतरनाक बीमारी है। क्योंकि इसमें एक आँख की रौशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसीलिए इससे बचकर रहें। आमतौर पर जो लोग एक करवट से लेटकर मोबाइल इस्तेमाल करते हैं। उनको यह बीमारी होती है। यानि कि Transient Vision Loss की समस्या हो होती है। और इसमें एक आँख की रौशनी चली जाती है।
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Myopia (मायोपिया)
Blue Light से बच्चों की आँखों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। आमतौर पर इंसान की आँखें दूर की वस्तुओं को देखने के लिए बनी हैं। लेकिन जब बच्चे अपनी नजर को किसी Gadget की Screen पर Focus करते हैं तो उनकी आँखों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। इससे उनकी आँखें फैलकर बड़ी हो जाती हैं। और Ratina अपनी जगह से पीछे खिसक जाता है। इससे बच्चों में Myopia (मायोपिया) यानि कि माईनस का नम्बर आ जाता है। अर्थात् माईनस (-) नम्बर का चश्मा लग जाता है।
Computer Vision Syndrome
लम्बे समय तक कम्यूटर पर काम करने वाले लोग Computer Vision Syndrome (CVS) के शिकार हो जाते हैं। हालांकि वैसे तो यह अस्थायी समस्या है लेकिन लंबे समय तक ध्यान न देने पर इसके कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसीलिए इसे हल्के में न लें। आमतौर पर यह समस्या उन लोगों को होती है, जो बैंक आदि में नौकरी करते हैं। और कई कई घंटों तक लगातार कम्प्यूटर पर काम करते हैं.
Blue Light से बचने के उपाय
सिर्फ आँखों की वजह से ही हम इस दुनिया को देख पाते हैं। अगर आँखें नहीं होंगी तो यह दुनिया हमारे लिए अंधकार के सिवा और कुछ नहीं होगी। इसलिए हमें आँखों की अच्छी तरह सार-संभाल करने की जरूरत है। और इन्हें मरते दम तक स्वस्थ और सुरक्षित रखना है ताकि हमारे मरने के बाद भी ये किसी के काम आ सकें। लेकिन कैसे? गैजेट्स की स्क्रीन से निकलने वाली Blue Light से अपनी आँखों को कैसे बचाऐं? How to protect eyes from blue light? आइए, कुछ उपायों के बारे में जानते हैं।
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3 Layer Blue Light Filter
अगर आप रोज लम्बे समय तक Desktop पर काम करते हैं। या फोन इस्तेमाल करते हैं तो 3 Layer Filter का इस्तेमाल करें। ‘थ्री लेयर फिल्टर’ का मतलब है – स्क्रीन से निकल रही Blue Light और अपनी आँखों के बीच 3 फिल्टर्स का इस्तेमाल करें। कौन-कौनसे तीन फिल्टर्स? चलिए, बताता हूँ। लेकिन उससे पहले यह स्क्रीनशॉट्स देखिए।

इस स्क्रीनशॉट में 3 फिल्टर्स को दिखाया गया है। पहला, डेस्कटॉप या फोन में Blue Light Filter के ऑप्शन को On करना। दूसरा, स्क्रीन के उपर Blue Light Blocker Glass या Screen Protector लगाना। और तीसरा, अपनी आँखों पर Blue Light Blocker या Blue Light Reflector Glasses (चश्मे) लगाकर रखना। अगर आप इस नियम का पालन करेंगे, त़ो आपकी आँखें Blue Light से बची रहेंगी।
Follow 20-20-20 Rule
अगर आप रोज कई घंटों तक Computer पर काम करते हैं। या Phone इस्तेमाल करते हैं, तो आपको 20-20-20 नियम का जरूर पालन करना चाहिए। अब आप पूछेंगे कि यह कौनसा नियम है? तो यह एक बहुत ही सिंपल-सा Rule है। जिसका मतलब यह है, हर 20 मिनट बाद, 20 सैकंड तक, 20 फीट दूर देखें। और एक जगह पर ध्यान केन्द्रित करें। साथ ही अपनी आँखों को लगातार झपकाऐं। इससे आँखों को Rest (आराम) मिलता है।
1.5 feet Distance
कुदरती तौर पर हमारी आँखें दूर की चीजों को देखने के लिए बनी है। इसीलिए Phone या Computer इस्तेमाल करते वक्त स्क्रीन और आँखों के बीच कम से कम डेढ फीट की दूरी अवश्य रखें। अगर आपको Screen पर लिखे अक्षरों को पढ़ने में दिक्कत हो रही है तो Font Size बड़ा कर लें। लेकिन नजदीक से न देखें। क्योंकि इससे आपकी आँखों पर काफी दबाव पड़ता है। जिससे आँखों की पुतलियाँ फैलकर बड़ी हो जाती हैं। और जल्द ही नजर का चश्मा लग जाता है।
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Light बहुत जरूरी है
जो लोग Phone Addiction के शिकार हो जाते हैं, वे दिन-रात कुछ नहीं देखते। बस हर वक्त फोन पर लगे रहते हैं। लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता कि अँधेरे में Phone यूज करना आत्महत्या करने के बराबर है। क्योंकि इससे आँखों को हद से ज्यादा नुकसान पहुँचता है। इसीलिए Phone या Computer इस्तेमाल करते वक्त इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि कमरे में पर्याप्त रौशनी हो। और अँधेरा बिल्कुल न हो। क्योंकि अँधेरे में Gadgets यूज करने से आँखों को जितना नुकसान पहुँचता है। उतना और किसी चीज से नहीं पहुँचता।
सोने से 1 घंटा पहले फोन बंद
अगर आप चाहते हैं कि आपको अच्छी नींद आए। और सुबह उठने पर आप तरोताजा महसूस करें! तो सोने से लगभग एक घंटा पहले Phone बंद कर दीजिए। और उसके बाद सीधा अगले दिन सुबह Phone On कीजिए। इससे न सिर्फ आपको नींद अच्छी आएगी। बल्कि सुबह आलस भी नहीं आएगा। यानि कि आप Time पर उठेंगे। और खुद को तरोताजा महसूस करेंगे।
8-10 फीट की दूरी
रात को सोते समय कभी भी फोन को सिरहाने रखकर न सोयें। बल्कि 8-10 फीट दूर रखकर सोयें। क्यों? क्योंकि जब आप फोन को सिरहाने रखकर सोते हैं! तो थोड़ी देर नींद न आने पर उठकर Phone Use करने लग जाते हैं। और उसके बाद नींद उड़ जाती है। क्योंकि आँखों के जरिए दिमाग को यह संदेश जाता है कि अभी दिन है। इसीलिए दिमाग Melatonin हार्मोन का स्त्राव बंद कर देता है। और आपकी नींद ऊड़ जाती है।
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लेकिन सुबह आप अलार्म बजने पर भी आप उठ नहीं पाते। क्योंकि शरीर बुरी तरह थका हुआ होता है। इसीलिए आप उठने की बजाय Alarm को पाँच-पाँच मिनट स्नूज करके दस-पन्द्रह मिनट और सोते हैं। जिससे शरीर में आलस्य आता है। और दिनभर सिर भारी रहता है। इसीलिए सोते समय फोन को बंद करके खुद से आठ-दस फीट दूर रखकर सोयें।
Steorid से बचें
कुछ लोग आँखों में खुजली, जलन या कोई और समस्या होने पर खुद डॉक्टर बन जाते हैं। और Medical Store से कोई भी Eye Drop खरीदकर आँखों में डालना शुरू कर देते हैं। इससे आँखों को राहत तो मिलती है। लेकिन साथ में कई सारी बीमारियां और मोतियाबिंद (Cataract) मुफ्त में मिलता है। क्योंकि इस तरह की Drops में स्टेरॉइड (Steroid) होता है, जो कि नशे की तरह होता है। यानि कि इसकी लत लग जाती है, जो छुड़ाए नहीं छूटती। इसीलिए खुद डॉक्टर न बनें। बल्कि किसी अच्छे Eye Specialist (नेत्र रोग विशेषज्ञ) से सलाह लें।
Blue Light : Summary
कुल मिलाकर Blue Light हमारी आँखों के लिए बहुत ही नुकसानदायक है। इसीलिए इससे बचना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप 3 Layer Filter का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर आप Nomophobia के शिकार हैं तो आपको संभलने की जरूरत है। इसके लिए आपको Phone के इस्तेमाल पर नियंत्रण करना होगा। और यह समझना होगा फोन हमारे लिए बना है। न का हम फोन के लिए बने हैं।
उम्मीद है इस आर्टिकल के जरिए आपको Blue Light Kya Hai? और यह हमारी आँखों के लिए कितनी घातक है? यह बात अच्छे-से समझ में आ गई होगी। अगर अब भी आपके मन में इस Topic से जुड़ा कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया तो इसे Like और Share कीजिए। और ऐसे ही ज्ञानवर्धक आर्टिकल्स के लिए ‘टेकसेवी डॉट कॉम’ को Subscribe कर लीजिए, ताकि जब भी कोई नया आर्टिकल प्रकाशित हो तो आपको उसका नोटिफिकेशन मिल जाए।
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मैं मेघराज मुंशी, एक वेब डिजायनर, ग्राफिक आर्टिस्ट और ब्लॉगर हूँ। वैसे पेशे से मैं एक शिक्षक हूँ और शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार का कर्मचारी हूँ। पढ़ने-पढ़ाने और लिखने के अलावा मुझे फिल्में देखना बहुत पसंद है। साहित्य, संगीत, सिनेमा, अंतरिक्ष, विज्ञान और तकनीकी मेरे पसंदीदा विषय हैं।
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